An example: akshaya tritiya importance अक्षय तृतीया तिथि पूजा व मान्यताएँ तथा मनाने का तरीका - HINDI SHIKSHAA99
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Friday, 29 March 2019

akshaya tritiya importance अक्षय तृतीया तिथि पूजा व मान्यताएँ तथा मनाने का तरीका


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हिंदूओं में लगभग वर्ष के हर मास में कोई न कोई व्रत व त्यौहार अवश्य मिलता है। चाहे वह दिन यानि वार विशेष का उपवास हो या फिर तिथि व्रत सामग्री के पिछे मानव कल्याण के संदेश देती पौराणिक कथाएं भी होती है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि एक ऐसी ही तिथि है जिसे बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है।


अक्षय तृतीया  वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं।   यह अमावस्या के बाद की वह अवधि होती हैं जिसमें चन्द्रमा बढ़ता है | यह तिथि हमेशा बैशाख मास के शुक्ल पक्ष में ही आती है | अक्षय तृतीया को आखा तीज और अक्षय तीज भी कहा जाता है | पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है।

akshaya tritiya importance अक्षय तृतीया सर्वसिद्धि देने वाली  मुहूर्त तिथि




मांगलिक कार्यों के लिये इस तिथि को बहुत ही शुभ माना जाता है। एक और जहां मांगलिक कार्यों को करने के लिये अक्षर शुभ घड़ी व शुभ मुहूर्त जानने के लिये पंडित जी से सलाह लेनी पड़ती है वहीं अक्षय तृतीया एक ऐसी सर्वसिद्धि देने वाली तिथि मानी जाती है जिसमें किसी भी मुहूर्त को दिखाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस तिथि को अबूझ मुहूर्तों में शामिल किया जाता है। इस दिन सोना खरीदने की परंपरा भी है। मान्यता है कि ऐसा करने से समृद्धि आती है। मान्यता यह भी है कि अपनी नेक कमाई में से कुछ न कुछ दान इस दिन जरुर करना चाहिये।

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अक्षय तृतीया पूजा सामग्री-

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1 अक्षय तृतीया यंत्र 
1 अक्षय तृतीया यंत्र
1 अक्षय तृतीया फोटो
1 अक्षय तृतीया गुटिका
अगरबत्ती / अगरबत्ती
आसन
अक्षता (चवाल) / चावल / ओरिजा साटिवा
दीपक / लैंप
दीये की बत्ती / कपास की डंडी / गोसिपियम
गंगा जल / पवित्र जल
गोबर / गाय के गोबर
हल्दी / हल्दी पाउडर / करकुमा लोंगा
काल भैरव की मूर्ति। काल भैरव की मूर्ति
कर्पूर / कपूर / दालचीनी कैम्फोरा
Loung / लौंग
नारियाल / नारियल / कोकोस न्यूसीफेरा
फूल / फूल
सिंदूर / Vermilion / Cinnabar
सुपारी / बेताल नट / अरेका केचू
तम्बुल / बेटल लीफ / पाइपर बेटल
तेल / तेल (सरसों का तेल)

akshaya tritiya importance अक्षय तृतीया का पूजा विधि
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इस दिन सुबह स्नान के बाद उपवास करने के संकल्प के साथ पंच देवों का पूजन, हवन और दान – पुण्य करने से सभी पापों का नाश होता है | और कभी न खत्म होने वाले शुभ फल की प्राप्ति होती है | इस दिन लड्डू और पंखियों को दक्षिणा के रूप में दान करना भी विशेष महत्व रखता है |
इस दिन धन की देवी लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु की पूजा की जाती है | सूर्योदय स्नान के बाद माँ लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु की आराधना कर निम्न मंत्र से व्रत रखने का संकल्प लें –
ममाखिलपापक्षयपूर्वक सकल शुभ फल प्राप्तये

भगवत्प्रीतिकामनया देवत्रयपूजनमहं करिष्ये |
संकल्प करने के बाद विष्णु भगवान को पंचामृत में तुलसी के पत्ते डालकर स्नान कराएं |  अक्षत, पुष्प (सफेद कमल या सफ़ेद गुलाब), नैवद्य में जौ या गेहूँ का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल को अर्पित करें | अंत में भक्तिपूर्वक माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आरती करें |

akshaya tritiya importance अक्षय तृतीया की मान्यताएं




अक्षय तृतीया की यह कथा महाभारत और भगवद् गीता में मिलती है | एक बार राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से इस पर्व के महात्म्य के बारे में पूछा, तो उन्होंने यह कथा सुनाई- बहुत समय पहले की बात है | किसी गाँव में एक बनिया रहता था | उसकी जिह्वा पर सदा सरस्वती का वास रहता था और वह कभी भी झूठ नहीं बोलता था | उसका मन देवी, देवताओं के पूजा – पाठ में बहुत लगता था | परन्तु वह अपने परिवार के लिए हमेशा चिन्तिंत रहता था |
एक दिन उसने कही पर अक्षय तृतीया का महात्म्य सुना | उस महात्म्य को सुनकर उसके मन में यह उत्कंठा जगी कि मैं भी इस व्रत को करूँगा |
उसने व्रत रखा और अपने सामर्थ्य अनुसार दान भी दिया | इस व्रत के प्रभाव से ही मरने के उपरांत वह राजा के घर में पैदा हुआ | ऐसा माना जाता है कि तभी से Akshaya तृतीया पर्व हर साल मनाया जाने लगा |

 akshaya tritiya importance अक्षय तृतीया पर्व को मनाने के पीछे कुछ पौराणिक  मान्यताएं भी है ।

यमदग्नि के पांच पुत्र थे | इनमे से पशुराम सभी भाईयों में कनिष्ठ थे | यमदग्नि के आश्रम में कामधेनू नाम की एक गाय थी | उसकी विशेषता थी कि यह सभी इच्छाओं की पूर्ति करती थी |

हैहय राजा अर्जुन एक बार शिकार खेलते रहे थे | जब वे यमदग्नि के आश्रम के पास पहुंचे तो आश्रम में उन्होंने एक गाय देखा | उनके मन में यह इच्छा हुई, यदि ये सुन्दर गाय हमारे महल में होती तो अच्छा होता |

अर्जुन ने यमदग्नि से आग्रह किया कि वह गाय उन्हें दे दे | लेकिन यमदग्नि ऋषि ने गाय देने से मना कर दिया | इस पर अर्जुन को बहुत क्रोध आया और उन्होंने यमदग्नि को मौत के घाट उतार दिया | जब यह घटना घटी उस वक्त उनके कनिष्ठ पुत्र परशुराम वहा नहीं थे |

जब परशुराम आए तो उनकी माँ ने सारा वृतांत बेटे को बताया | सुनते ही परशुराम क्रोध से भर उठे और उन्होंने यह प्रतिज्ञा ली कि अपने बल – पराक्रम से इक्कीस बार पृथ्वी को क्षत्रिय हीन करूँगा और परमार्थ के लिए दान दक्षिणा दूंगा |

इस प्रकार परशुराम ने अपनी प्रतिज्ञा अनुसार राजा के साथ – साथ इक्कीस बार क्षत्रियों का ध्वंश किया |

ऐसा माना जाता है कि परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन होने के कारण, ब्राह्मणों को क्षत्रियों के अत्याचार से बचाने, इनके अद्भुत दानवीरता के कारण अक्षय तृतीय का पर्व मनाया जाता है | यह अक्षय तृतीय उस वीर के शौर्य की गाथा भी कहती है |

Akshaya Tritiya importance अक्षय तृतीया दान मान्यताएं।


अपने सामर्थ्य के अनुसार घट, छाता, नमक, सत्तू, दही, चावल, गुड और नए वस्त्र दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है | इस दिन भंडारा से भी खूब पुण्य प्राप्त होता है | श्रीमद्भागवत में भी इस बात का उल्लेख है, औषधीयनामहं भाव:, अर्थात फसल कटने के बाद भी मेरा रूप उसमें विद्यमान है | इसलिए जो मनुष्य इस दिन दान करता है उसका घर हमेशा धन- धान्य से भरा रहता है | ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन जिन-जिन वस्तुओं का दान किया जाता है वह समस्त वस्तुए अगले जन्म में प्राप्त होती है |
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ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन दान – पुण्य और सत्कर्म करने से अत्यधिक फल प्राप्त होता है | यह दिन सोना – चाँदी, सम्पत्ति खरीदने और गृह प्रवेश के लिए शुभ माना जाता है | यह दिन अबूझ सावे के रूप में भी माना जाता है, जिससे इस दिन शादियों की भी धूम रहती है |

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कृषकों के लिए भी अक्षय तृतीया का पर्व विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस महीने में जौ और गेहूँ की फसल कटकर घर में आ जाती है | इसकी खुशी में किसान व्रत रखते है व हर्षोल्लास से इस त्यौहार को मनाते है |


मान्यता है कि यह तिथि सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र के दिन आए तो किए गए दान, जप – तप का फल अत्यधिक बढ़ जाता है और इस बार तो 29 अप्रैल का अक्षय तृतीया में रोहिणी नक्षत्र का योग है इस वजह से इस दिन अमृत योग बन रहा है | अत: इस दिन सत्कर्म, अच्छा आचरण और खूब दान – पूर्ण करें |

Akshaya Tritiya importance अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त 2019
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4 comments:

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